ग़ज़ल १७
सोना सच्चा न हुआ गल जायेगा
आग में मत हाथ रख जल जायेगा
अफवाहों का दौर आया है शहर में
खोटा सिक्का भी यहाँ चल जायेगा
तेजी से गुजरने की बात मत करना
वक्त न पकड़ा तो निकल जायेगा
मोम का पुतला बना हर शख्स है
धूप में मजबूत तन पिघल जायेगा
इन्शानियाँ की लाश वो ढोते यहाँ
कैसे सूर्य भ्रस्टाचार का ढल जायेगा
अयान गली से शोर है उस संसद तक
देखना है वहाँ पर कौन सा दल जायेगा
सोना सच्चा न हुआ गल जायेगा
आग में मत हाथ रख जल जायेगा
अफवाहों का दौर आया है शहर में
खोटा सिक्का भी यहाँ चल जायेगा
तेजी से गुजरने की बात मत करना
वक्त न पकड़ा तो निकल जायेगा
मोम का पुतला बना हर शख्स है
धूप में मजबूत तन पिघल जायेगा
इन्शानियाँ की लाश वो ढोते यहाँ
कैसे सूर्य भ्रस्टाचार का ढल जायेगा
अयान गली से शोर है उस संसद तक
देखना है वहाँ पर कौन सा दल जायेगा
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टीम हमारीवाणी
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टीम हमारीवाणी
इन्शानियाँ की लाश वो ढोते यहाँ
ReplyDeleteकैसे सूर्य भ्रस्टाचार का ढल जायेगा !!
इंसानियत??... भ्रष्टाचार
मोम के पुतले ही हो गये हैं मानव !
खरी खरी कह दी ग़ज़ल ने !