ग़ज़ल -०३
कभी लबो का मुस्कुराना ज़िन्दगी है.
कभी पलकों को भीगना ज़िन्दगी है.
उसने कभी मुझको समझा ही नही है.
अपने घर में मात खाना ज़िन्दगी है.
टूट जाये इस दिल के सारे हौसले जब
यादों का हिम्मत दिलाना ज़िन्दगी है.
संग अपने ले गए हम खुशियाँ दिखाने
खाली हाथ उस मेले से आना ज़िन्दगी है.
मेरी खातिर उनकी अब अहमियत क्या है
उसका इस राज को भुलाना ज़िन्दगी है
दिल से वो मानती है हमें दोस्त अपना
अयान उसका मुझे आजमाना ज़िन्दगी है
कभी लबो का मुस्कुराना ज़िन्दगी है.
कभी पलकों को भीगना ज़िन्दगी है.
उसने कभी मुझको समझा ही नही है.
अपने घर में मात खाना ज़िन्दगी है.
टूट जाये इस दिल के सारे हौसले जब
यादों का हिम्मत दिलाना ज़िन्दगी है.
संग अपने ले गए हम खुशियाँ दिखाने
खाली हाथ उस मेले से आना ज़िन्दगी है.
मेरी खातिर उनकी अब अहमियत क्या है
उसका इस राज को भुलाना ज़िन्दगी है
दिल से वो मानती है हमें दोस्त अपना
अयान उसका मुझे आजमाना ज़िन्दगी है
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