१.
ज्ञान की बातें बताने लग गये
रक्त सबके सब बहाने लग गये
जब भी सच का साथ देने मै लगा
साढे साती मुझपे आने लग गये
फ़िर से खतरों मे कटा मेरा सफ़र
जश्न दुश्मन सब मनाने लग गये
आस लोगो की अगर जख्मी हुयी
बेबसी मे मुस्कुराने लग गये
उनके घर बेटी अगर पैदा हुयी
कोख तक को वो सताने लग गये
रेत के महलों सी मजबूती लिये
ख्वाबों का बीमा कराने लग गये
घोंपकर छूरा किसी की पीठ पर
वाहवाही खुद बताने लग गये
भूँख से लाचार बेबस हैम उन्हे
देशभक्ति वो सिखाने लग गये
देश का चैन हर पल कम हुआ
बदलाव करने मे जमाने लग गये
२.
शोर होता रहा चैन खोता रहा
मेरे भारत का जनतंत्र रोता रहा
लाभ मिलते रहे जेब सिलते रहे
आचमन पाप गंगा मे धोता रहा
पीढियाँ इस कदर भेष बदली यहाँ
बाप मरता रहा सुख मे पोता रहा
फ़सलें तक खा गयी नील गायें यहाँ
पूस की रात मे हल्कू सोता रहा
जनता की छोडकर सेवा अपनी करे
आम इंशान इल्जाम ढोता रहा
ऐसी आजादी किस काम की दोस्तो
लडकी बेआबरू न्याय सोता रहा
क्या चुनौती नई आगई ऐ अयान
देखकर दिल मे कुछ कुछ होता रहा
बधाई हो आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति आज के ब्लॉग बुलेटिन पर प्रकशित की गई है | सूचनार्थ धन्यवाद |
ReplyDeleteबहुत ही सार्थक गजलें,आभार.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव!
ReplyDeletehttp://voice-brijesh.blogspot.com
बहुत उम्दा ग़ज़लें हैं ...पढ़कर बहुत अच्छा लगा
ReplyDeleteshukriya tushar ji
ReplyDeleteshukriya rajendra ji
shjukriya brijesh ji
shukriya shikha ji.
avalokan hetu aur sargarbhic tippani hetu sadar aabhar,
krite
anil ayaan