रात भर पलकें भिगाना जिंदगी
है.
दूर रहकर पास आना जिंदगी
है.
मिलकर खुशियाँ मिली तो क्या
हुआ
बिना मिले रिस्ते निभाना
जिंदगी है
आँशुओं के इस सिले को क्या
कहूँ
राह मे पलकें बिछाना जिंदगी
है.
प्यार करके एक ऐसा जख्म पाया
हर रात यादों का सताना जिंदगी
है
अयान खुशबू से वो रिस्ता
हो गया
फूल बनकर मुस्कुराना जिंदगी
है.
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पीने का पानी जहाँ ठहरा हुआ
है.
उतना ही कडा यहाँ पहरा हुआ
है.
अब ये प्रजा शिकायतें करे
किससे
राजा अपना पूर्णतः बहरा हुआ
है.
अनजाने गुलामी में फँस गये
सब
ये राष्ट्रध्वज शान से फहरा
हुआ है
चिरागों की चेतना सम्मा पी
गई
रात का तम भी और गहरा हुआ
है
खुला आकाश देखे वर्षो हो
गये है
अब चारो तरफ देखें कुहरा
हुआ है
बेबसी में सबने अपनी कब्र
खोदी
सूखा अयान दिलों का सहरा
हुआ है
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