अदालतें वहीं रही पर फैसले बदल गये
ये सूरतें वही रही पर हौसले बदल गये
ये सूरतें वही रही पर हौसले बदल गये
बेगुनाह काटता है एक उम्र कारावास में
और सीना ठोक अपराधी सब निकल गये
फुटपाथ में पडी जरा झोपडी को देखिये
और हंसते हुये खुशहाल सब महल गये
लोकतंत्र के इस तंत्रलोक का कमाल है
लाली पाप से संसद में दिल बहल गये
घाटी को अब छोड थाती को देखिये जरा
बारूद बंब आतंक से इंशान भी दहल गये
फिर से योजना बनी फिर से फाइलें गई
फिर आफिसों मे सारे कुकुरमुत्ते मचल गए
अनिल अयान श्रीवास्तव ,सतना
९४०६७८१०७०
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