Sunday, June 10, 2012

ghazal"19

हर तरफ एक आग का सामना करते रहे .
अँधेरे , दीपक राग का सामना करते रहे .

क़त्ल किया नहीं हमने कभी भी दोस्तों
ऐसे लगे एक दाग का सामना करते रहे .

बागवा बनकर जिसे हमने सहेजा उम्र भर
आज उजड़े बाग़ का सामना करते रहे

वैसे ज़हर बहता है इन सिराओ में अयान
डर के मारे नाग का सामना करते रहे .

रंग नफ़रत के घुले दो दिलो के बीच में .
ये कान मेरे फाग सामना करते रहे ..

Monday, May 28, 2012

ग़ज़ल -18

ग़ज़ल -18

वक्त दर वक्त वो याद आने लगे
दिल की गहराइयों में सामने लगे

यक़ीनन ये दूरियां घटी और बढ़ी
हम यकीनों से सजदा कराने लगे

वो हमारे जेहन से गुजरे ही थे
शहर में वो बदनामी उठाने लगे

गुल भी अनजान है ख़ामोशी से
हम आहिस्ते खुशबू चुराने लगे

दोस्त बनके वो कुछ पल ही रहे
औ हम उनको बागबाँ बनाने लगे

वफ़ा का अयान ऐसा आलम हुआ
दोस्ती का कर्ज हम चुकाने लगे

Tuesday, May 22, 2012

ग़ज़ल १७

ग़ज़ल १७

सोना सच्चा न हुआ गल जायेगा
आग में मत हाथ रख जल जायेगा

अफवाहों का दौर आया है शहर में
खोटा सिक्का भी यहाँ चल जायेगा

तेजी से गुजरने की बात मत करना
वक्त न पकड़ा तो निकल जायेगा

मोम का पुतला बना हर शख्स है
धूप में मजबूत तन पिघल जायेगा

इन्शानियाँ की लाश वो ढोते यहाँ
कैसे सूर्य भ्रस्टाचार का ढल जायेगा

अयान गली से शोर है उस संसद तक
देखना है वहाँ पर कौन सा दल जायेगा

ग़ज़ल :१६

ग़ज़ल :१६

पीने का पानी जहाँ ठहरा हुआ है
उतना ही कड़ा वहाँ पहरा हुआ है

खुले आकाश को देखे सालों हो गए
आज चारो तरफ ही कोहरा हुआ है

चिरागों की चेतना ये समा पी गयी
और अँधेरा आज फिर गहरा हुआ है

अनजाने हम इस गुलामी में फस गए
पर ये तिरंगा शान से फहरा हुआ है

ये प्रजा अपनी शिकायतें करे किस्से
राजा इनका पूर्णतयः बहरा हुआ है

बेबस लोगों ने अयान खुद कब्र खोदी
अब कफ़न ही उनके सर सेहरा हुआ है

ग़ज़ल :१५

ग़ज़ल :१५

सालों से बंधी जख्म की पट्टी को खोलिए
आपने देखा है जो सच उसको आज बोलिए

सूर्य से चुराकर मै यहाँ लाया हूँ एक किरण
इन नज़रो के पैमाने में उजालों को तौलिये

खुद बखुद ये बिजलियाँ चमक कर गिरेंगी
आप अपने विचारो को चेतना से घोलिये

समुन्दर भी चला आएगा प्यासे लबों तक
पहले के जमाने में माना आप खूब रो लिए

हमसे तो कहीं बेजुबां परिन्दें ही नेक है
वो चर्च मंदिर और मस्जिद भी हो लिए

अयान यह तन डुबाकर बड़ी भूल हो गयी
पापियों ने सारे पाप मेरी गंगा में धो लिए

ग़ज़ल :१४

ग़ज़ल :१४

साहिल में सूना सा एक घर बना है.
आकाश में फैला अँधेरा भी घना है

दिन में इन आँखों को सुकून दे देना
यहाँ पूरी रात ही तुमको जागना है

बस्तियों में नकाबपोश है आये
सेवा करके मांग लो जो माँगना है

इस आँगन में तुम ना करो हलचले
यहाँ पे पुराना सा खोखला तना है

मर्यादाओं की सीमा नशेडी हो गयी
सौख से लान्घिये जिनको लांघना है

जख्मो में अयान संक्रमण है फैलता
अच्छा होने के लिए सीना मना है

Sunday, May 20, 2012

ग़ज़ल :१३

 ग़ज़ल :१३

प्यार करना और निभाना है बहुत कठिन यारो
इस ज़िन्दगी में मुस्कुराना है बहुत कठिन यारो

दिल के संग खिलवाड़ करना चलता है रात दिन
इस रूठते दिल को मनाना है बहुत कठिन यारो

वक्त के संग इसप्यार के मायने है बदलने लगे
हर वक्त इसे समझ पाना है बहुत कठिन यारो

ऐतबार करना अब हमें दोबारा कैसे आएगा
यादों से उसको भुलाना है बहुत कठिन यारो.

शोहरत मिलती रही है सिसकियों के साथ में
चुपके से रोना और रुलाना है बहुत कठिन यारो

लाख लिखना पड़े यारो दुनियादारी के सबक
पहले प्यार को मिटाना है बहुत कठिन यारो

अयान दिल की दास्तानें चल रही है रात दिन
ख्वाबों को सम्हाल पाना है बहुत कठिन यारो





ग़ज़ल :१२

ग़ज़ल :१२
 
कुछ राज छिपाए है सम्हलता हुआ चेहरा.
अच्छा नहीं लगता है बदलता हुआ चेहरा,

चेहरों में है नकाब यहाँ इस कदर लगे हुए
तूफ़ान को समेटे है ये बहलता हुआ चेहरा,

सच्चाई देखी हमने जब भी सूरमाओं की
मोम सा  दिखता है पिघलता हुआ चेहरा 

मासूम निगाहें है और चुपचाप है ये लब
हर रात में जलता है दहलता हुआ चेहरा

बर्फ की तासीर को हम समेटे हुए यहाँ
बेमौत मर रहा है फिसलता हुआ चेहरा

हर बच्चा सहम जाता है जब देखता उसे
अँधेरे से खौफनाक निकलता हुआ चेहरा

बड़ा हो गया है तो बड़प्पन को साथ रख
भाता नहीं अयान ये मचलता हुआ चेहरा



Saturday, May 19, 2012

ग़ज़ल :११

ग़ज़ल :११

बहुत दूर था अपना एक सहारा मेरा ....
क्या करता दरिया का किनारा मेरा .
.
फिर से था तूफ़ा का पैगाम यारो था .
बेबस था किस्मत का सितारा मेरा

लुटेरे मजे करते होगे अपने घर में
जो लूट ले गए सामान सारा मेरा

इसी तरह जी रहा हूँ हर पल यहाँ
सातवें आसमाँ में है अब पारा मेरा

चलो कही चले और कल की सुबह
अश्क हो गया है बहुत खारा मेरा

एक ने कहा था गलत उसको अयान
पानी तक नहीं माँगा यहाँ मारा मेरा
 

ग़ज़ल :१०

ग़ज़ल :१०
तमन्ना जब किसी की नाकाम हो जाती है .
जिन्दगी उसकी उदास शाम हो जाती है .

दिल के साथ दौलत का होना भी जरूरी है
गरीब की मोहब्बत नीलाम हो जाती है .

जब इसे मुकम्मल मुकाम नहीं मिलता
इसी बहाने मोहब्बत बदनाम हो जाती है

कोई क्या जाने क्या गुजरती है उस वख्त
खास चीज जो बाजार में सरेआम हो जाती है .

वो क्या समझेगा मेरी रुसवाई का सबब
जिसकी शाम मेरी खातिर जाम हो जाती है

किस्सा अयान एक अंजाम तक पहुचता है
जब धड़कने इश्क में इंतकाम हो जाती है

ग़ज़ल :०९

ग़ज़ल :०९

कितने साहिल किनारों की तलाश में है.
मेरी आवाजें भी दरारों की तलाश में है

इस कस्ती को खेने वाले का है इंतज़ार
तूफाँ में वह मझ्धारों की तलाश में है

किस्मत ने लिख दिया है जुदाई मुझको
कोई मेरे जैसे सितारों की तलाश में है

उनकी दुआयें भी मुस्कान नहीं देती
ऩजर कुछ खास नजारों की तलाश में है.

मासूमियत का लिवाज क्या ओढे अयान
मेरी तस्वीरें भी दीवारों की तलाश में है




ग़ज़ल :०८



ग़ज़ल :०८

हम उनसे मिले अजनबी की तरह
मासूमियत लिए ज़िन्दगी की तरह

सिर्फ मजबूरियों का था तूफाँ वहाँ
ख्वाब भी सच लगे बंदगी की तरह

लफ्ज़ दिल से निकल गुमशुदा हो गए
हम तडपते ही रहे तिस्नगी की तरह

हमने उनको कहा अपनी मजबूरियाँ
बस बातें की उसने बानगी की तरह

दर्द का अयान ऐसा आलम रहा
तन्हाई भी रही दिल्लगी की तरह.

Thursday, May 17, 2012

ु ग़ज़ल :०७

ग़ज़ल :०७


आंशुओं की गलियों में ज़िन्दगी के फूल.
रोती हुयी कलियाँ भी हो रही है शूल

मन के तन ने आज ओढ़ लिया लिवाज़
पीड़ा भी कहे सबसे सदियों की भूल

सोने की चिड़िया हो गयी बुजुर्ग
सीमा के रस्ते उड़े तोपों की धूल

जनता का मंदिर क्यों मौन हो गया
परिधि ही भूल गयी केंद्रीय मूल





ग़ज़ल : ०६

ग़ज़ल : ०६
इस युग में कहाँ सभी इन्शान बन गए
किरदार गवाही के अब ईमान बन गए

हौसले सब जज्बाती जंग हारने लगे
जज़्बात इस दिल की बेईमान बन गए.

नफरतों से दिलदारी को काटना चाहा
उस दरमियाँ दोस्त मेरे हैवान बन गए.

बदलाव यहाँ रातो रात अयान हो गया
निर्गुणी सभी यहाँ गुणवान बन गए

ग़ज़ल:०५ ;

ग़ज़ल:०५ ;

आँधी आई तो डर गए पत्ते.
शाख से यूँ बिखर गए पत्ते.

ढूँढने ज़िन्दगी के लम्हों को.
किस किसके घर गए पत्ते

ये मुकद्दर भी रेत जैसा है
बयां खुल के कर गए पत्ते

हार जीत के रिवाजों में आज
ख़त्म किस्सा कर गए पत्ते

वख्त ने हरा दिया उनको भी
कोशिश करके मर गए पत्ते

एक इबादत करने के लिए
यहाँ दो फूल धर गए पत्ते

अयान ग़मगीन माहौल को
मेरे हवाले कर गए पत्ते.


ग़ज़ल: ०४

ग़ज़ल: ०४
मस्त आँखों के सहारे जी रहे है
जैसे दरिया में किनारे जी रहे है.

हुनर कुछ खोज कर दे दे मौला
जीतकर हम भी हारे जी रहे है.

हाल ए दिल कुछ ऐसा हो गया है.
ख्वाब ए दिल बहुत सारे जी रहे है.

दूर होकर पास है मेरे वो आज भी
इस आसमां में जैसे तारे जी रहे है.

दिल की दुनिया है छोटी सी अयान
इसमें भी टूटे सितारे जी रहे है.

ग़ज़ल -०३

ग़ज़ल -०३

कभी लबो का मुस्कुराना ज़िन्दगी है.
कभी पलकों को भीगना ज़िन्दगी है.

उसने कभी मुझको समझा ही नही है.
अपने घर में मात खाना ज़िन्दगी है.

टूट जाये इस दिल के सारे हौसले जब
यादों का हिम्मत दिलाना ज़िन्दगी है.

संग अपने ले गए हम खुशियाँ दिखाने
खाली हाथ उस मेले से आना ज़िन्दगी है.

मेरी खातिर उनकी अब अहमियत क्या है
उसका इस राज को भुलाना ज़िन्दगी है

दिल से वो मानती है हमें दोस्त अपना
अयान उसका मुझे आजमाना ज़िन्दगी है



ग़ज़ल .-०२

ग़ज़ल .-०२ अनिल अयान

ग़म अपने भी पराये हो गए.
मुद्दतो मुस्कुराये हो गए.

जब भी सीमा लांघना चाहा
खौफनाक मेरे साये हो गए

अश्कों की तेज बारिशे रही
मेहमां बिन बुलाये हो गए .

उजड़े चमन के वासिंदे है हम
मुद्दतो घर बसाये हो गए

उजड़ी महफिले है अयान
कितने पल इन्हें सजाये हो गए .

ग़ज़ल .०१

ग़ज़ल .०१
सोचा था शाम संग सवेरा नहीं जाता.
देखा तो जुदा होकर ये डेरा नहीं जाता.

दर्द दफ़न हो गया जो जिगर जमीन में
चाहते हुए भी इसको उकेरा नहीं जाता .

दिल मेरा चाहे की वो राहों को छोड़ दे.
अफ़सोस है की उनका बसेरा नहीं जाता.

खुशबू दोस्ती और इश्क का है एक गुर
इनको बार बार बिखेरा नहीं नहीं जाता.

जो शराब के संग अयान शबाब बन गयी
जामों से उसको कभी उडेला नहीं जाता.

एक बार जो देख ले इस हसीं दोस्त को
उसके साथ नाम कभी भी मेरा नहीं जाता.

 

Friday, May 11, 2012

wakht

wakht ke saath sab badal jata hai.
na pooch kaun kab badal jata hai.
Bahut sikwa hota hai usse ayaan
vo bin bataye jab badal jata hai

Tuesday, May 8, 2012

ek pal ke lie

KISI KI YAAD SATAYE TO KYA KARE.
VO EK PAL KO YAAD AAYE TO KYA KARE.
MINNATE KARKE JO CHALA JATA HO..
KHUD NA HAAL SUNAYE TO KYA KARE.
HAMESHA JO HAAL CHAL LETA RAHE,,
NA VO  AWAJ LAGAYE TO KYA KARE.
BAS ISI TARAH HALE DIL BAYAN HO
 UNKA JO HAI PARAYE TO KYA KARE.