कब तक भर पायेगी खाई, निर्धन और धनवान की।
अब तो बोली लगती यारो, होठों की मुस्कान की।
वीरों का बलिदान भुलाकर, नेता बैठे शान से,
गिरवी है संसद में पूंजी, वीरों के बलिदान की।
समरसता का ज्ञान मिलेगा, हिन्दी के संसार में,
करें अगर चर्चा हिंदी में, मीरा और रसखान की।
नित कर्तव्य करो अपना, पर फल की इच्छा मत करना,
ज्ञान सतत देती है गीता, आयत भी कुरआन की।
अब तो बोली लगती यारो, होठों की मुस्कान की।
वीरों का बलिदान भुलाकर, नेता बैठे शान से,
गिरवी है संसद में पूंजी, वीरों के बलिदान की।
समरसता का ज्ञान मिलेगा, हिन्दी के संसार में,
करें अगर चर्चा हिंदी में, मीरा और रसखान की।
नित कर्तव्य करो अपना, पर फल की इच्छा मत करना,
ज्ञान सतत देती है गीता, आयत भी कुरआन की।
खाये और अघाये ना जानें, पीडा खाली पेट की,
मानव धर्म भुला करके, वे बातें करते ज्ञान की।
लडके और लडकी का अंतर, पल में होता दूर है,
खूबी बहुत बडी होती है, पश्चिम के परिधान की।
मानव धर्म भुला करके, वे बातें करते ज्ञान की।
लडके और लडकी का अंतर, पल में होता दूर है,
खूबी बहुत बडी होती है, पश्चिम के परिधान की।
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