Monday, April 25, 2016

ठगे हुये सभी गांव मिले.

किससे कितने घाव मिले.
कितने इनको भाव मिले.

नये नये लोग मिले जब.
रोज रोज मुझे ताव मिले.

राह नयी चलते - चलते
थके थके मेरे पांव मिले.

शहरो की राजनीति मे.
ठगे हुये सभी गांव मिले.

देश हुआ शतरंजी खेल.
संसद मे बस दांव मिले.

पेड़ो की सुनो कहानी
किस्सों मे ही छांव मिले.

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