निकल कर हवाले हो गये.
बस ठंड़ के दुशाले हो गये.
दर्द के आसरे ही हम रहे
दो जून के निवाले हो गये.
आग ऐसी लगी इस तन मे
धधकती सी मशालें हो गये.
काम कुछ हमने ऐसे किये.
आजन्म घर निकाले हो गये.
मंज़िलों तब मिली कदमों को.
तलवों में जो कई छाले हो गये.
दिल-हवेली शान से रोशन हुई
इसकी दीवारो मे जाले हो गये.
जिस जगह कभी था एक घर.
अब मकान आठमाले हो गये.
असहिष्णु जब से देश यह बना.
बदनाम मस्जिदें शिवाले हो गये.
बस ठंड़ के दुशाले हो गये.
दर्द के आसरे ही हम रहे
दो जून के निवाले हो गये.
आग ऐसी लगी इस तन मे
धधकती सी मशालें हो गये.
काम कुछ हमने ऐसे किये.
आजन्म घर निकाले हो गये.
मंज़िलों तब मिली कदमों को.
तलवों में जो कई छाले हो गये.
दिल-हवेली शान से रोशन हुई
इसकी दीवारो मे जाले हो गये.
जिस जगह कभी था एक घर.
अब मकान आठमाले हो गये.
असहिष्णु जब से देश यह बना.
बदनाम मस्जिदें शिवाले हो गये.
bahut hi sunder
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