Sunday, June 10, 2012

ghazal"19

हर तरफ एक आग का सामना करते रहे .
अँधेरे , दीपक राग का सामना करते रहे .

क़त्ल किया नहीं हमने कभी भी दोस्तों
ऐसे लगे एक दाग का सामना करते रहे .

बागवा बनकर जिसे हमने सहेजा उम्र भर
आज उजड़े बाग़ का सामना करते रहे

वैसे ज़हर बहता है इन सिराओ में अयान
डर के मारे नाग का सामना करते रहे .

रंग नफ़रत के घुले दो दिलो के बीच में .
ये कान मेरे फाग सामना करते रहे ..

2 comments:

  1. आज आपके सभी ब्लॉग देखे....
    लिखते रहिये....

    अनु

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