देखिये छाती मे मूंग दल रहा है वो।
आस्तीं मे सांप जैसे पल रहा है वो।
विश्वास की आड़ मे रख करके मुझे
मेरे यकीं को पुरजोर छल रहा है वो।
कहीं है रोशनी और कहीं पे है धुआँ
यूं जल रहा हूं मै यूं जल रहा है वो।
मुझे अस्त करने की ये कोशिशें रही।
मै उदय हो गया देखो ढल रहा है वो।
आने वाले कल का साथी बना उसे।
मै सोचता, क्यों मेरा कल रहा है वो।
सवाल बन के सामने खडा हो गया।
सभी सवालों का एक हल रहा है वो।
मैयत पे आके रोया क्यों न जाने वो।
अर्थी मे सबसे पीछे चल रहा है वो।
अनिल अयान। सतना
आस्तीं मे सांप जैसे पल रहा है वो।
विश्वास की आड़ मे रख करके मुझे
मेरे यकीं को पुरजोर छल रहा है वो।
कहीं है रोशनी और कहीं पे है धुआँ
यूं जल रहा हूं मै यूं जल रहा है वो।
मुझे अस्त करने की ये कोशिशें रही।
मै उदय हो गया देखो ढल रहा है वो।
आने वाले कल का साथी बना उसे।
मै सोचता, क्यों मेरा कल रहा है वो।
सवाल बन के सामने खडा हो गया।
सभी सवालों का एक हल रहा है वो।
मैयत पे आके रोया क्यों न जाने वो।
अर्थी मे सबसे पीछे चल रहा है वो।
अनिल अयान। सतना